कृषि एवं बागवानी
मध्य प्रदेश में राज्य की लगभग 70 फीसदी आबादी कृषि, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन जैसे रोजगारों पर निर्भर है। राज्य के सकल घरेलू उत्पादन में 30 फीसदी हिस्सा इन्हीं कामों का है। छोटे किसानों के पास कृषि योग्य भूमि का सिर्फ 26 फीसदी हिस्सा है। राज्य की कुल कृषि योग्य भूमि में से 3.25 फीसदी पर बागवानी होती है।
कृषि का जलवायु परिवर्तन से दो-तरफा रिश्ता है। एक तरफ कृषि संबंधित गतिविधियों से पर्यावरण में प्रदूषणकारी गैसों की मात्रा में बढ़ोतरी होती है, जबकि दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन से कृषि क्षेत्र भी बहुत गंभीर रूप से प्रभावित होता है। खेतों में फसल की कटाई के बाद बचे हिस्से को जला देने से या पानी के पंप का जम कर इस्तेमाल किए जाने से जहां पर्यावरण प्रभावित होता है, वहीं पारंपरिक तरीके से की जाने वाली खेती से मिथेन गैस का उत्सर्जन बढ़ता है।
मुख्य रणनीतियाँ:
- भूमि व जल संरक्षण हेतु तकनीकी ज्ञान को बढ़ावा देना
- शुष्क भूमि कृषि एवं बागबानी को बढ़ावा देना
- प्रत्येक कृषि जलवायुवीय क्षेत्र हेतु उपयुक्त फसल तंत्र का नियोजन करना
- टिकाऊ उत्पादकता को लक्ष्यित एवं जलवायु परिवर्तन जोखिम प्रबंधन नीतियों का निर्माण
- नवीन तकनीकियों का विकास और प्रचार एवं शोध गतिविधियों को सुदृढ़ करना
- जलवायु पूर्वानुमान सूचना सहित कृषि सूचना प्रबंधन का निर्माण
- बाज़ार हेतु आसान पहुँच और सरल प्रणाली विकास पर अतिरिक्त ध्यान देना
- नवीन आजीविका स्त्रोतों हेतु ग्रामीण व्यावसायिक केन्द्रों की स्थापना
- टिकाऊ कृषि, जल प्रबंधन, उर्वरक उपयोग, कृषि-उप-उत्पाद प्रबंधन इत्यादि के बारे में समुदायों का क्षमता वर्धन
- जलवायु परिवर्तन संबंधी शोध और विकास को बढ़ावा देना
- जलवायु परिवर्तन चिंताओं के समन्वय हेतु क्षमता वर्धन करना
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